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बुधवार, 19 मई 2021

ब्लैक फंगस क्या है। जाने इसके लक्षण 🤔 और इससे बचने के उपाय।




ब्लैक फंगस क्या है। जाने इसके लक्षण 🤔 और इससे बचने के उपाय।

कोविड 19 महामारी के बाद एक ओर बिमारी जो महामारी बनती जा रही है। ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा covid मरीजों व शुगर के मरीजों को होता है। वास्तव में यह बिमारी बहुत ज्यादा खतरनाक हैं  क्योंकि  इसमें  सिर्फ संक्रमण होने पर मरीज़ के बचने की दर केवल 50%हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हमें इसकी पूरी जानकारी हो। ताकि समय रहते इससे बचाव किया जा सके।

ब्लैक फंगस क्या है :- 


ब्लैक फंगस एक प्रकार का फंगस द्वारा फैलाया गया इंफेक्शन है। ये ब्लैक फंगस हवा में रहता हैं। यह आपकी नाक से होते हुए बलगम में मिलकर नाक की चमड़ी में घुस जाता है। फिर ब्लैक फंगस  बिमारी  तेजी से फैलती हैं  और मस्तिष्क तक चली जाती हैं। मुकॉर्माइकोसिस  मुख्य रूप से नाक, कान, गले तथा फेंफड़ों को प्रभावित करती हैं।  पर इसकी वजह से नाक, कान तथा गले के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान होता है। यह बिमारी इम्यूनिटी तथा रोग प्रतिरोधकता क्षमता कमजोर होने की वजह से होती  हैं । यह संक्रमण
आमतौर पर जो  कोविड19 से ठीक हो चुके मरीज़ है, या जिन्हें diabetes, किडनी या कैंसर से संबंधित बिमारी है उनमें तेज़ी से फैलता है।

इसका नाम ब्लैक फंगस कैसे पड़ा।

ये वास्तव में नीला होता है। लेकिन वैसे दिखने पर ब्लैक नज़र आती हैं इसलिए इसका कोमन नाम ब्लैक फंगस पड़ गया।
आइए जानते है कि यह किन्हें और कैसे होता है, 
किन्हें  इससे ज्यादा खतरा है  

* इसका
 सबसे ज्यादा खतरा डाबटिज के मरीजों को है  और उन लोगों को तो ओर भी ज्यादा है जो करोना से ठीक हो चुके हो।
*जिनका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है।
* ब्लैक फंगस  एक घातक इन्फेक्शन है यह हमारी  बोड़ी में  ब्लड सप्लाई को   प्रभावित करता हैै।
और जहां तक इन्फेक्शन फैल चुका हो उसके आगे ब्लड की सप्लाई रुक जाती हैं।
वास्तव में यह जहां तक फ़ैल जाता है वहां के  नेर्वस सिस्टम में ब्लड कि सप्लाई  को बन्द कर देता है।
* सर्जरी के बाद ही उसने हिस्से से ब्लैक फंगस को हटाकर  मरिज को बचाया जा सकता है।

Black fungus  ज्यादातर  शुगर मरिजो में ही क्यू  होता है

* क्यूंकि डायबिटीज के मरीजों में उनका जो  nasal mucosa होता है  वो अम्लीय हो जाता है। और जब ये फंगस नाक में (nasal mucosa) में आता है तो जैसे ही इस फंगस को  acidic environment मिलता है तो ये फंगस सक्रिय हो जाता है और अपनी multification copy बनाना शुरू कर देता है।
ये हमारे blood vessels के उपर attach  हो जाते हैं ओर  अन्दर जाकर वहां पर खून की नालियों को बन्द कर देते हैं ‌। फिर इनके फैलनै का एक विशेष चक्र शुरू हो जाता है।

* दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि कोविड के  मरीजों  का इम्यूनिटी सिस्टम बहुत कम हो जाता है। हमारे WBC है वो कम हो जाते हैं मतलब  कोविड मरीजों को  lucopenia  हो जाता है ओर इस फंगस  से लड़ नहीं पाते और ये इन्फेक्शन शरीर में फैलने लगता है।
नाक के  अम्लीय मिडियम की वजह से फंगस  को फैलने के लिए पर्याप्त इनवायरमेंट मिल जाता है
फिर इस तरह से इन्फेक्शन पूरी बोडी में फ़ैल जाता है।
✓ कोविड बिमारी के कारण मनुष्य की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है जिसको बढ़ाने के लिए, और फेफड़ों का इन्फेक्शन कन्ट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हाई  dose steroid  से अस्पतालों में भी  ब्लैक  फंगस के  मामले सामने आ रहे हैं।
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मुकोरमीकोसिस या ब्लैक फंगस के लक्षण
अगर  शुरूवाती stege में ही इस बिमारी का पता चल जाए तो  मरीज  का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है। अगर नाक में ही फैली है। ब्रेन और फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाई है तो मरीज के बचने के चांस 50% है। और यदि यह फेफड़े तक पहुंच गई है तो रोगी के केवल 25%ही बचने के चांस है।  फेफड़े के बाद यदि यह ब्लड मे  फ़ैल गई है तो मरीज़ के बचने के चांस ओर भी कम हो जाता है। से फैलता है।


इसलिए ये  लक्षण  दिखाई देते ही तुरन्त डॉक्टर की सलाह लें

*  नाक  का सुखना , नाक का बन्द होना , नाक की अंदरूनी दिवारो पर सुखापन आना   तथा  नाक से काले ख़ून का निकलना और clots का जमाना ।* आंखें खोलने में परेशानी होना , आंखों में सुजन आना,
 आंखों का लाल होना, अचानक से एक आंख से या दोनों आंख से कम दिखना।
*आंखों,नाक तथा गालों के नीचे लाल होना।
*दांत दर्द,सिने में दर्द, मानसिक तनाव।
सांस लेने में दिक्कत और खुन की उलटी आना।
* नाक के अंदर काले रंग की पपड़ियां जमना।
* कई बार ऊपर वाले होंठों ओर गालों का सुन होना आदि।

इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपना ईलाज करवाना चाहिए।
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सावधानियां

अब आप ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में जान चुके हैं।
कुछ सावधानियों को अपनाकर आप इस भयानक बिमारी से अपना तथा अपने परिजनों का ध्यान रख सकते हैं।
*थोड़ा सा भी सक होने पर nosal endoscopy करना
जरूरी है और nodal बायोप्सी भी।
* अगर ये संक्रमण हो गया है तो डॉक्टर की सलाह पर अमल करते हुए आपना ईलाज जल्दी ही शुरू कर देना चाहिए।

*धुल के सीधे  संपर्क से बचना चाहिए। खास तौर पर diabetesके रोगियों को‌ ‌। जहां पर मिट्टी या काई हो  उस स्थान पर हमेशा जूते, लम्बी पेंट, और दस्ताने पहने और माक्स भी पहने ‌
*त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से  अच्छी तरह से साफ करें।
*नाक को  hygiene रखें, नाक में पपड़ी ना जमने दे,नाक को हर वक्त तरल पदार्थ से गीला रखें।
*ज्यादा steroids लेने वाले मरीजों में ये बिमारी नज़र आने लगी है । इसलिए करोना मरीज़ steroide की डोज  डाक्टर के सलाह  से ही लें।
* ICU  में लम्बे समय तक रहे क्योंकि यह करोना से ठीक होने वालों को जल्दी होता है।


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