सूर्यग्रहण क्या
है व
कितने प्रकार
के होते
हैं। जाने
सूर्यग्रहण देखते
वक्त किन-किन
सावधानियों को
ध्यान में
रखना चाहिए।
हमारे
सौर
मंडल
में
बहुत
सारी
खगोलीय
घटनाएँ
घटित
होती
रहती
है
और
इन्ही
में
से
एक
है
सूर्यग्रहण आज
हम
आपको
सूर्यग्रहण की समयावधि अथवा
सूर्यग्रहण अधिकतम
कितनी
देर
तक
लग
सकता
है,
सूर्यग्रहण क्या
हैं,
क्यू
लगते
हैं
और
जब
ये
लगते
हैं।
प्रकृति पर
क्या
क्या
असर
होते
हैं
तथा
सूर्यग्रहण किस
विशेष
स्थिति
में
लगते
हैं।
सूर्यग्रहण कितने
प्रकार
के
होते
हैं।
इनको
किस
आधार
पर
बांटा
गया
है।
और
इस
साल
कितने
सूर्यग्रहण लगेगे।
इन सबके बारे में जानेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि सूर्यग्रहण देखते वक्त किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए।
सूर्यग्रहण कैसे लगते है?
सूर्य
ओर
पृथ्वी
के
बीच
में
चांद
के
आने
की
वजह
से
पृथ्वी
पर
कुछ
देर
के
लिए
अंधेरा
हो
जाता
है।
सूर्य
ओर
पृथ्वी
के
बीच
में
चंद्रमा बिल्कुल एक
सीधी
रेखा
में
होने
की
वजह
से
पृथ्वी
पर
छाया
डालता
हैं
और
सूरज
से
आने
वाले
प्रकाश
को
पृथ्वी
पर
पड़ने
से
रोक
देता
है
सूर्य
ग्रहण
ओर
चंद्रग्रहण खगोलीय
घटना
है
जब
सूर्य
ग्रहण
होता
है
तो
चंद्रमा सूर्य
की
रोशनी
को
रोककर
पृथ्वी
पर
परछाई
डाल
देता
है
इसी
परिघटना को
सूर्यग्रहण लगना
कहते
है
ग्रहण कितनी प्रकार के होते हैं?
ग्रहण
2 ही
तरह
के
होते
हैं,
चंद्रग्रहण ओर
सूर्यग्रहण
सूर्यग्रहण में
चांद
की
परछाई
धरती
पर
तकरीबन
50km area पर
पड़ती
है।
सूर्यग्रहण में
चांद
की
परछाई
हमेशा
West to East मूव
करती
है।
सूर्यग्रहण की समयावधि
पूर्ण
सूर्यग्रहण बहुत
कम
समय
के
लिए
लगता
है
लगभग
7 मिनट
8 सेकेण्ड का।
सूर्यग्रहण हमेशा
अमावस्या के
दिन
ही
लगता
है।
सूर्यग्रहण बहुत जल्दी क्यों खत्म हो जाता है क्योंकि पृथ्वी
ओर
चंद्रमा की
ओरबिटल
गति
एक
दूसरे
के
विपरीत
है।
इसलिए
ये
बहुत
कम
समय
के
लिए
एक
सीधी
रेखा
में
रह
पाते
है।
इसलिए
ग्रहण
जल्दी
खत्म
हो
जाते
हैं।
जब
भी
चंद्रमा की
छाया
पृथ्वी
पर
पडती
है
तो
चंद्रमा की
दो
छाया
दिखाई
देती
है।
एक
अम्बरा
(Dark shadow) ओर
दूसरी
पेनम्बरा (light shadow)।ये Dark अथवा
गहरी
छाया।
ये
गहरी
छाया
पृथ्वी
पर
जहां
पड़ती
है
वहां
- वहां
पर
हमे
पूर्ण
सूर्यग्रहण दिखाई
देगा।
और
जहां
पर
चांद
की
हल्की
छाया
पड़ती
है
वहां
पर
हमे
उपछाया
सूर्यग्रहण दिखाई
देता
है।
सूर्यग्रहण सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1.) पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) जब चंद्रमा, सूर्य
को
पूर्ण
रूप
से
ढक
लेता
है।
और
कुछ
देर
के
लिए
अंधेरा
हो
जाता
है।
ऐसा
केवल
उन्हीं
जगहों
पर
होता
है
जहां
पृथ्वी
पर
सूर्य
की
डार्क
छाया
पड़ती
है।
2 Partial Solar Eclipse दुसरी तरह का
सूर्यग्रहण है।
आंशिक
सूर्यग्रहण जहां
पर
पृथ्वी
की
आंशिक
यानि
हल्की
छाया
पड़ती
है।
यहां
पर
पूर्ण
सूर्यग्रहण की
तरह
अंधेरा
नहीं
छाता।
इस
तरह
के
ग्रहण
को
उपछाया
सूर्यग्रहण कहते
हैं।
3 Annular Solar Eclipse यानि छल्लेनुमा आकर्ति
का
सूर्यग्रहण। हम
ये
तो
जानते
ही
हैं
कि
धरती
के
चारो
तरफ
चन्द्रमा चक्कर
लगाता
है।
क्योंकि पृथ्वी
के
चारो
तरफ
चंद्रमा की
कक्षा
गोल
ना
होकर
अंडाकार है।
इस
अंडाकार पथ
पर
चंद्रमा पृथ्वी
का
चक्कर
लगाते
हुए
कभी
पृथ्वी
के
बहुत
करीब
आ
जाता
है
तो
कभी
पृथ्वी
से
बहुत
दूर
चला
जाता
है।
जब
चंद्रमा पृथ्वी
से
maximum दूरी
पर
हो
ओर
फिर
सूर्यग्रहण के
समय
पृथ्वी
पर
अपनी
छाया
डाले।
यानि
कि
चंद्रमा के
बहुत
ज्यादा
दूर
होने
की
वजह
से
पृथ्वी
पर
पड़ने
वाली
छाया
का
आकार
बहुत
छोटा
होता
है
और
इसी
दूरी
के
कारण
सूर्य
हमें
एक
रिंग
की
तरह
दिखाई
देता
है
यानि
चंद्रमा सूर्य
को
पूरी
तरह
नहीं
ढक
पाता
है
और
इसी
वजह
से
हमें
सूर्य
एक
छल्ले
के
आकार
का
दिखाई
देता
है।
इस
तरह
के
सूर्य
ग्रहण
को
Annular Solar Eclipse कहते हैं, इस
सूर्य
ग्रहण
में
हमें
चंद्रमा के
पीछे
रिंग
जैसा
सूर्य
भी
दिखाई
देता
है।
ये
लगभग
पूर्ण
सूर्यग्रहण के
जैसा
ही
होता
है।
इसमें
7 चंद्रमा की
छाया
के
पीछे
दिखने
वाले
हिस्से
को
Annulus कहते
हैं।
सावधानियां
सूर्यग्रहण कभी
भी
बिना
विशेष
चश्मे
के
ना
देखें
कुछ
सेकंड्स के
लिए
भी
नहीं,
नहीं
तो
आपकी
आंखें
बहुत
ज्यादा
Damage हो
सकती
है।
सूर्यग्रहण को
हमेशा
सोलर
एकलिप्स वाले
चश्मे
से
ही
देखना
चाहिए।
आप
सूर्यग्रहण को
सीधे
देखने
की
बजाय
पानी
में
भी
देख
सकते
हैं।
सूर्यग्रहण के
समय
सूर्य
की
तीखी
किरणों
की
रोशनी
कम
करने
के
लिए
आप
एक
पेपर
के
जरिए
भी
सूर्यग्रहण देख
सकते
हैं।
इसके
लिए
आपको
एक
पेपर
में
होल
करना
है
और
इस
छेद
में
से
गुजरने
दे,
और
इसकी
छाया
से
आप
Solar Eclipse को
देख
सकते
हैं।
सूर्यग्रहण को
Direct देखने
से
आखों
पर
बहुत
नेगेटिव इफेक्ट्स पडते
है।
यहां
तक
कि
आखों
की
रोशनी
भी
जा
सकती
है
प्रकृति
पर
असर
सूर्यग्रहण के
वक्त
वातावरण का
तापमान
कुछ
समय
के
लिए
कम
हो
जाता
है।
जाने इस साल कितने सूर्यग्रहण लगेगे
इस
साल
2 सूर्यग्रहण लगेगे।
साल
का
पहला
सूर्यग्रहण जून
में
तथा
दूसरा
दिसंबर
में
लगेगा।
10 जून
को
लगने
वाले
ग्रहण
का
नजारा
बड़ा
ही
रोचक
होगा।
क्योंकि यह
सूर्यग्रहण छल्लेनुमा आकृति
में
दिखाई
देगा।
इसे
इसकी
आकृति
की
वजह
से
ही
वलयाकार सूर्यग्रहण कहा
जाता
है।
सूर्य
एक
जलती
हुई
रिंग
के
जैसा
दिखाई
देता
है
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