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बुधवार, 21 अगस्त 2024

श्रीकांत बोल्ला: दृष्टिहीनता से करोड़ों की कंपनी तक की प्रेरणादायक यात्रा | जीवन कहानी

  श्रीकांत बोल्ला: दृष्टिहीनता से करोड़ों की कंपनी तक की प्रेरणादायक यात्रा | जीवन कहानी                              

                          परिचय                             

श्रीकांत बोल्ला, एक भारतीय उद्योगपति, जिनकी प्रेरणादायक यात्रा ने विश्व को यह संदेश दिया है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। 

जन्म से दृष्टिहीन होने के बावजूद, श्रीकांत ने न केवल अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया, बल्कि अपने संघर्षों को सफलता में भी बदला। 

वह आज बोलंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक अध्यक्ष हैं और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के स्लोअन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में मैनेजमेंट साइंस में पहले दृष्टिहीन छात्र के रूप में जाने जाते हैं। 

उनकी जीवन कहानी न केवल दृष्टिहीन लोगों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक उदाहरण है कि आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है|

                                प्रारंभिक जीवन                                

पारिवारिक पृष्ठभूमि और पालन-पोषण: 

श्रीकांत बोल्ला का जन्म 7 जुलाई 1991 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के सीतारामपुरम गांव में हुआ। 

उनके माता-पिता अशिक्षित थे और परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती था। इस कठिन आर्थिक स्थिति के बावजूद, श्रीकांत के माता-पिता ने अपने बेटे को शिक्षा देने का निर्णय लिया।

 जन्म से ही दृष्टिहीन होने के कारण, श्रीकांत की प्रारंभिक शिक्षा में कई बाधाएं आईं। उस समय दृष्टिहीन छात्रों के लिए विशेष सुविधाओं की कमी थी, जिससे श्रीकांत की शिक्षा का मार्ग कठिन हो गया |

स्कूल में, श्रीकांत ने विज्ञान पढ़ने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उनकी दृष्टिहीनता के कारण यह संभव नहीं हो पाया। 

हालांकि, उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें अपनी बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 98% अंक प्राप्त करने में मदद की। इसके बावजूद, उनकी शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

 उन्होंने इस स्थिति को बदलने के लिए कोर्ट में केस दायर किया और छह महीने की कानूनी प्रक्रिया के बाद, उन्होंने आंध्र प्रदेश के पहले दृष्टिहीन छात्र के रूप में विज्ञान की पढ़ाई करने का अवसर प्राप्त कि

                            शिक्षा और प्रारंभिक करियर                   

स्नातक की पढ़ाई के बाद, श्रीकांत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की कोचिंग संस्थानों में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन उनके दृष्टिहीनता के कारण उन्हें निराशा मिली।

 इसके बावजूद, उन्होंने हार मानने के बजाय ।

 इस दौरान, उन्होंने बहु-विकलांग बच्चों के लिए एक समन्वय केंद्र की सहस्थापना इंजीनियरिंग की ओर कदम बढ़ाया और अपनी शिक्षा पूरी की की और ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की, जिससे दृष्टिहीन छात्रों को शैक्षिक, व्यावसायिक, वित्तीय, और पुनर्वास सेवाएं प्राप्त हो सके|

                      बोलंट इंडस्ट्रीज की स्थापन                     

2012 में, श्रीकांत ने अपने व्यापारिक साझेदार रवि मंथा के साथ मिलकर बोलंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की।

 बोलंट इंडस्ट्रीज का उद्देश्य दृष्टिहीन और विकलांग लोगों को रोजगार प्रदान करना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।
 कंपनी ने रतन टाटा से फंडिंग प्राप्त की और एरेका-आधारित उत्पादों की निर्माण शुरू की। 

बोलंट इंडस्ट्रीज ने पर्यावरण के अनुकूल पुनर्नवीनीकरण क्राफ्ट पेपर, डिस्पोजेबल उत्पाद, और पुनर्नवीनीकरण कागज से पैकेजिंग उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित किया |

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बोलंट ने नगरपालिका के कचरे और गंदे कागज से पुनर्नवीनीकरण कागज का उत्पादन किया, और बेकार प्लास्टिक को उपयोगी उत्पादों में पुनर्चक्रित किया।

 इस कंपनी ने केवल पर्यावरणीय समस्याओं को ही नहीं बल्कि रोजगार और अर्थशास्त्र से जुड़े मुद्दों को भी संबोधित किया। 

बोलंट इंडस्ट्रीज ने स्थापना के बाद से औसतन 20% की मासिक वृद्धि दर्ज की है और 2018 में ₹150 करोड़ का कारोबार किया

सर्ज इम्पैक्ट फाउंडेशन और सामाजिक योगदा                       

सितंबर 2016 में, श्रीकांत ने सर्ज इम्पैक्ट फाउंडेशन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य भारत में व्यक्तियों और संस्थानों को 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना है। 

सर्ज इम्पैक्ट फाउंडेशन भारत में सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए विभिन्न पहलों पर काम करता है और सतत विकास के लिए कार्यशील योजनाओं का निर्माण करता है

अप्रैल 2017 में, श्रीकांत बोल्ला को फोर्ब्स द्वारा एशिया के 30 अंडर 30 की सूची में शामिल किया गया। इस सूची में शामिल होने वाले वे केवल तीन भारतीयों में से एक थे। यह सम्मान उनकी मेहनत और सफलता का प्रमाण था और उन्होंने अपने दृष्टिहीनता के बावजूद यह उपलब्धि प्राप्त की

           लोकप्रिय संस्कृति में श्रीकांत बोल्ला         

2022 में, श्रीकांत बोल्ला की जीवन कहानी पर आधारित एक बायोपिक फिल्म 'श्रीकांत' की घोषणा की गई।

 इस फिल्म में अभिनेता राजकुमार राव ने श्रीकांत का किरदार निभाया है। फिल्म का ट्रेलर 9 अप्रैल 2024 को जारी किया गया और यह 10 मई 2024 को रिलीज हुई। फिल्म ने श्रीकांत की कहानी को एक नई पहचान दी और उनके संघर्ष और सफलता की गाथा को दर्शकों तक पहुँचा|

                       श्रीकांत बोल्ला की प्रेरणा और संदेश                 

श्रीकांत बोल्ला की यात्रा यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता न केवल दृष्टिहीन लोगों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। श्रीकांत की कहानी यह सिद्ध करती है कि आत्मविश्वास और मेहनत से हर चुनौती को पार किया जा सकता है और सपनों को साकार किया जा सकता है|

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