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भगत सिंह की जीवनी – शहीद-ए-आजम का जीवन, विचार और बलिदान

भगत सिंह की जीवनी – शहीद-ए-आजम का जीवन, विचार और बलिदान

 

भगत सिंह की जीवनी – शहीद-ए-आजम का जीवन, विचार और बलिदान

भगत सिंह का जीवन परिचय – जानिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रेरणादायक कहानी, विचार, फांसी, और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान।

👶 प्रारंभिक जीवन

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगत सिंह का परिवार क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
  • पूरा नाम: भगत सिंह संधू
  • जन्म: 28 सितंबर 1907
  • जन्म स्थान: बंगा, लायलपुर (अब पाकिस्तान)
  • पिता: किशन सिंह
  • माता: विद्यावती कौर
  • जाति: सिख (जाट)

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📚 शिक्षा और राष्ट्रप्रेम

भगत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में हुई। वे शुरू से ही अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में रुचि रखते थे। जलियांवाला बाग नरसंहार ने उनके मन को झकझोर दिया और वे देशभक्ति की राह पर चल पड़े।

🪔 क्रांतिकारी गतिविधियां

भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की, जो युवाओं को अंग्रेजी शासन के खिलाफ संगठित करने का काम करती थी। 1928 में लाला लाजपत राय के खिलाफ ब्रिटिश पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के विरोध में, भगत सिंह और उनके साथियों ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या की।

1929 में उन्होंने दिल्ली की विधानसभा में बम फेंका, जिसका उद्देश्य किसी को घायल करना नहीं था बल्कि अंग्रेजों के खिलाफ जागरूकता फैलाना था। इसके बाद वे गिरफ्तार हुए और जेल गए।
  • लाहौर में नौजवान भारत सभा की स्थापना की।
  • सांडर्स की हत्या (1928) – लाला लाजपत राय की मौत का बदला।
  • 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में बम फेंका – "सुनो दुनिया वालों, ये आवाज़ है क्रांति की!"

सिर्फ शोर मचाना नहीं, विचार जगाना था उनका उद्देश्य।

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⚖️ जेल और मुकदमा

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु व सुखदेव को अंग्रेजों ने लाहौर षड्यंत्र केस में फांसी की सजा सुनाई।

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Jail Diary of Bhagat Singh: Reflections on Revolution, Religion, Politics and Freedom Struggle | Compilation of Bhagat Singh's Prison Writings and Thoughts in Hindi

☠️ फांसी और बलिदान

23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर जेल में फांसी दी गई। उनकी उम्र तब सिर्फ 23 वर्ष थी।

इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

🔗 भगत सिंह – विकिपीडिया

🔗 राष्ट्रीय अमृत महोत्सव पोर्टल पर विवरण

💬 भगत सिंह के विचार

“मैं नास्तिक हूँ, क्योंकि मैंने मनुष्य को कष्टों में देखा है और भगवान को निष्क्रिय।”
“इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर आश्वस्त होता है।”

📘 निष्कर्ष

भगत सिंह का जीवन साहस, बलिदान और क्रांतिकारी सोच का प्रतीक है। उनकी शहादत आज भी युवाओं को राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देती है।



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