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शनिवार, 14 जनवरी 2023

दिमाग खाने वाला अमीबा, brain eating ameoba क्या होता है, लक्षण एवं प्रभाव, संक्रमण कैसे फेलता है? व इसके बचाव। Naegleria Fowleri क्या है, व इसका इतिहास।

दिमाग खाने वाला अमीबा, brain eating ameoba क्या होता है, लक्षण एवं प्रभाव, संक्रमण कैसे फेलता है? व इसके बचाव। Naegleria fowleri क्या है, व इसका इतिहास

दिमाग खाने वाला अमीबा, brain eating ameoba क्या होता है, लक्षण एवं प्रभाव, संक्रमण कैसे फेलता है? व इसके बचाव। Naegleria fowleri क्या है, व इसका इतिहास

जाने दिमाग खाने वाला अमीबा, brain eating ameoba क्या होता है, लक्षण एवं प्रभाव, संक्रमण कैसे फेलता हैव इसके बचाव। Naegleria fowleri क्या है, व इसका इतिहास...

                                                                                                                                                                             

1.) परिचय

हैलो दोस्तो हमारे इस ब्लॉग में एक बार फिर से आप का स्वागत है। आज हम एक ऐसे जीव के बारे में बात करने वाले हैं जिसे दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है। (brain eating ameoba) आखिर ये दिमाग खाने वाला अमीबा क्या होता है

इसके बारे में हम विस्तार से जानेंगे। इस अमीबा से जुड़ी उन सभी बातों को जानेंगे जो हमारे लिए इस बिमारी से बचने के लिए जानना ज़रूरी है। यहां हम ये भी जानेंगे कि यह अमीबा किस तरह से इतना जानलेवा साबित हो रहा है, और यह दिमाग को कैसे खाता है। यह संक्रमण कितना ख़तरनाक है? और यह कैसे फैलता है?

किसी व्यक्ति को ये संक्रमण होने के बाद में व्यक्ति की अचानक से तबीयत खराब हो जाती है। और फिर 5 दिनों के भीतर ही उसकी मौत हो जाती हैं। Naegleria fowleri ameoba की एक खास तरह की प्रजाति है। वैज्ञानिकों द्वारा इसकी पहचान काफी समय पहले ही कर ली गई थी। दुनिया भर में इस अमीबा के संक्रमण की रिपोर्ट समय- समय पर सामने आती रही है।

  1. परिचय
  2. अमीबा  (ameoba) क्या होते हैं ?
  3. दिमाग खाने वाला अमीबा (brain eating amoeba) क्या होता है?
  4. नगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri ameoba ) क्या हैं?scientific name
  5. यह दिमाग को कैसे प्रभावित करता है।
  6. नगलेरिया फाउलेरी का इतिहास व कितना जानलेवा है?
  7. क्या यह संक्रामक बीमारी है?
  8. Naegleria fowleri (infection) संक्रमण कैसे होता है?, व कैसे फैलता है?
  9. लक्षण एवं प्रभाव
  10. इससे बचाव के लिए क्या करे ?
  11. यह अमीबा कहा-कहा पाया जाता है?
  12. इसके फैलाने की प्रमुख वजह क्या है?
  13. Conclusion

2.) अमीबा (ameoba) क्या होते है ?

अमीबा शूक्षंजीवों का एक परकार होते है। यह वायरस ओर जीवाणुओ की तरह ही बीमारियां फेलाते है।

यह अमीबा एक प्रकार का प्रोटोजोआ (protozoa) है। जो नग्न आखो से दिखाई नहीं देता ओर हमारे शरीर मे प्रवेश करके हमे बीमार बना देता है।

एककोशिकीय जीव:- यह एककोशिकीय जीव है, यानी एक कोशिका से बना हुआ है और इसे जीवित रहने के लिए सभी काम व, यह जीवित रहने की सभी क्रियाएं अपनी एक ही कोशिका के माध्यम से करता है। और इसीलिए इनका जीवन काल बहुकोशिकीय जीवो की तुलना में बहुत कम होता है।

 यह सिंगल कोशिका से ही अपने भोजन को ग्रहण करता है। ओर फिर भोजन का पाचन कार्य भी इसी सिंगल सेल द्वारा किया जाता है। ओर इसी तरह से उत्सर्जन कार्य भी सिंगल सेल के द्वारा ही पूर्ण किया जाता है। 

 

   a.)  अलैंगिक प्रजनन - द्विखण्डन (binary fission):-

आइए जानते हैं की यह अमीबा अपनी संख्या को कैसे बढ़ाते हैं या फिर प्रजनन कैसे करते हैं। दिमाग खाने वाले अमीबा (brain eating ameoba) में प्रजनन अलैंगिक तरह का होता है means द्विखण्डन यानी binary fission के द्वारा होता है, इसमें अमीबा खुद को दो हिस्सों में बांट लेता है और फिर प्रत्येक टुकड़ा एक संपूर्ण अमीबा का रूप ले लेता है। और इस प्रकार इनकी संख्या 2 से चार, और 4 से 8, और 8से 16 इस प्रकार बढ़ती रहती है।

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  b.) आकार:- अमीबा का कोई निश्चित आकार नहीं होता अमीबा अपनी आकृति बदलता रहता है। अमीबा के 3 मुख्य भाग होते हैं। 1कोशिका द्रव्य, 2 प्लाज्मा झिल्ली, 3 केन्द्रक।

c.)  कोशिका द्रव्य (Cytoplasm), प्लाज्मा झिल्ली (Plasma Membrane) और केन्द्रक (Nucleus)

 

3.) दिमाग खाने वाला अमीबा (brain eating amoeba) क्या होता है?

हम ऊपर ये पढ़ चुके है,कि अमीबा क्या होता है। ओर जिस अमीबा से दिमाग संक्रमित होता है। इससे PAM नाम कि बीमारी हो जाती है। इसी अमीबा को brain eating amiba कहते है।    

4.) नगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) क्या है?scientific name

नेग्लेरिया कई सारे अमीबाओ का एक समूह है। ओर इसी समूह का एक सदस्य है, दिमाख खाने वाला अमीबा ओर इसी अमीबा का समान्य नाम है:- Naegleria fowleri

Naegleria एक विशेष तरह का अमीबा है। और दिमाग खाने वाला अमीबा (Naegleria fowleri) इसका एक प्रकार है। Naegleria fowleri को ही Brain-Eating Amoeba कहा जाता है। 

 Naegleria fowleri अमीबा ग्रसित पानी जब व्यक्ति की नाक मे परवेश करता है, उसके बाद यह अमीबा मस्तिस्क मे पहुच कर मस्तिस्क को संक्रमित कर देता है।  

इस दिमाग खाने वाले अमीबा का साइंटिफिक नेम अमीबा प्रोटीस (Amoeba Proteus) है। 

 

5.) यह दिमाग को कैसे प्रभावित करता है।

लेकिन इसके साथ ही हमें यह भी जान लेना जरूरी है कि यह दिमाग को खाता नहीं है। बल्कि दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। जिसकी वज़ह से इन्सान की मौत हो जाती है, और इन्सान का दिमाग काम करने लायक़ नहीं रहता है।

 इसके इन्हीं प्रभावों के कारण ही इसे brain eating ameoba कहा जाता है। ये अमीबा मनुष्यो को संक्रमित करने के साथ ही यह जानलेवा भी है। इसके अमीबा से  दिमाग में  सूजन आ जाती है जिसे PAM यानी primary amebic meningoencephalitis कहा जाता है।

 

6.) नगलेरिया फाउलेरी का इतिहास व यह कितना जानलेवा है।

नगलेरिया फाउलेरी का पहला मामला 1937 में दक्षिण अमेरिका में पाया गया था। दक्षिण अमेरिका में भूमध्य रेखा से नजदीकी के कारण उत्तर अमेरिका की अपेक्षा अधिक गर्मी पड़ती है। 

लेकिन दिसंबर 2022 में कोरिया में पहली बार यह अमीबीय संक्रमण एक कोरियाइ नागरिक में पाया गया। इसी के साथ ही दुनियाभर में 2018 के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 381 नेगलेरिया फाउलेरी के मामले सामने आ चुके हैं। यह अमीबा अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, थाईलैंड आदि देशों में पाया जा चुका है।

 

1937 से 2018 तक इस अमीबा के सिर्फ 381 

मामले ही सामने आएं है। भले ही इसके संक्रमण की दर कम हो लेकिन इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा है। क्योंकि 381 मामलों में से डोक्टर्स सिर्फ 7 लोगों की ही जान बचाने में कामयाब रहे है। यानि इस इंफेक्शन से होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा है। इस इंफेक्शन के होने के बाद कुछ ही दिनों में रोगी की मृत्यु हो जाती है।

 

7.) क्या यह संक्रामक बीमारी है?

नहीं, यह बीमारी संक्रामक नहीं है। means मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलती है। 

8.) Naegleria fowleri (infection) संक्रमण कैसे होता है? व कैसे फैलता है?

आइए अब जानते हैं कि यह संक्रमण किस तरह से फैलता है। खास तौर पर यह संक्रमण गर्मी के महीने में होता है। सबसे पहले brain eating ameoba अमीबा fresh water से आपके नाक के द्वारा आपकी बॉडी में  एंटर करता है।

जैसा कि हम पहले भी जिक्र कर चुके हैं की इसके नाक से लेकर दिमाग तक पहुंचने की प्रोसेस को primary amebic meningoencephalitis (PAM) कहते हैं।

यह संक्रमण आपके अंदर तभी एंट्री लेता है जब आप गर्म पानी, मीठे पानी की झील, नदी, या तालाब में स्नान करने गए हो तो ऐसी स्थिति में यह अमीबा आपके नाक में प्रवेश कर सकता है। आइए अब जानते हैं कि:- यह अमीबा नाक से इंटर करने के बाद दिमाग तक कैसे पहुंचता है दिमाग तक पहुंचने की प्रोसेस क्या है।

सबसे पहले यह नाक में पहुंचने के बाद नेजल कैविटी में प्रवेश करता है उसके बाद यह अमीबा नेजल म्यूकोसा में चला जाता है जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि यह नाक के द्वारा हमारे शरीर के निचले हिस्से में प्रवेश नहीं करता बल्कि ऊपर की ओर यानी कि दिमाग की तरफ प्रवेश करता है। 

यह दिमाग तक पहुंचता है। नसल कैविटी के बाद निर्जल म्यूकोसा और फिर olfactory nerves यानी कि घ्राण तंत्रिका में यह है। अमीबा प्रवेश कर जाता है। 

उसके बाद 4 स्टेप में यह cribriform plate जो कि नाक के ऊपर की एक ग्लैंड है। उसमें एंटर हो जाता है। उसके बाद यह ओल्फेक्ट्री बल्ब नाम की ग्रांड तंत्रिका को भी संक्रमित कर देता है।

 ग्रहण तंत्रिका के बाद इसका अंतिम पड़ाव में यह Trophozoites में जाने के बाद दिमाग में चला जाता है, और वहां जाने के बाद यह दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित करता है। 

जिसकी वजह से दिमाग में सूजन आ जाती है। Trophozoites दिमाग में पहुंचने के बाद Naegleria fowleri ameoba को पोषण की आवश्यकता होती है। और इसके लिए यह Trophozoites जो कि दिमाग का ही एक हिस्सा है। 

 दिमाग की कोशिकाओं से अपना पोषण प्राप्त करता है। और अपनी संख्या में भी इजाफा करता है। जिससे दिमाग की तंत्रिका कोशिकाएं इनफेक्टेड होकर मरने लगती है। 

A. Nasal cavity

B. Nasal mucosa

C. Olfactory nerves ( घ्राण तंत्रिका)

D. Cribriform plate

E. Olfactory bulb (घ्राण तंत्रिका))

F. Trophozoites then enter the brain

 

9.) लक्षण एवं प्रभाव

आइए अब जानते हैं। brain eating ameoba के लक्षण व इसके क्या प्रभाव देखने को मिलते हैं। जैसे ही कोई संक्रमित होगा तो उसके लक्षण 24 घंटे से लेकर 14 दिन तक सामने आते हैं। यानी शुरुआती 24 घंटे में ही लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। 

शुरुआती लक्षणों की अगर बात करें तो सबसे पहले तेज बुखार और इसके साथ ही भयानक सिर दर्द का होना इसका सबसे सामान्य लक्षण है। क्योंकि यह ameoba सीधे तौर पर दिमाग को ही प्रभावित करता है। इसलिए सर दर्द इसका सबसे मेन लक्षण है। इसके बाद मतली यानी उल्टी जैसा मन होना यह तीनों यह तीनों ही दिमाग खाने वाले अमीबा की शुरुआती लक्षण है।

इन लक्षणों के दिखने के बाद सामान्य तौर पर कई लक्षण और दिखाई देते हैं:- जैसे कि गर्दन में अकड़न लाइट को लेकर आंखों पर जोर पढ़ना लाइट में ठीक से ना देख पाना और धुंधलेपन जैसी स्थिति दिखाई देना, कुछ ठीक से समझ ना पाना, उलझन जैसे सिचुएशन का बन जाना या कोई भी बात ठीक से समझ ना आना क्योंकि इस इंफेक्शन के दौरान इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है।

शुरुआत में कुछ ऐसी सिचुएशन बन जाती है, कि कोई चीज समझ आती है तो कोई नहीं आती, समझ पाने में दिक्कत होने लगती है। इसके साथ ही इंसान की संतुलन में कमी भी होने लगाती है।

 जिसकी वजह से पेशंट अपने आप को संभालने में असमर्थ होने लगता है। कहीं पर गिर पड़ना, चलते हुए चक्कर का आना यह सभी इसके शुरुआती लक्षणों के बाद दिखाई देने वाले कुछ और लक्षण है।

इसके अलावा रोगी में दिखाई देने वाले लक्षणों में शामिल है। लगातार स्वपन दिखाई देना क्योंकि यह वायरस दिमाग में पहुंचकर हमारी तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है। 

जिसकी वजह से हमारा दिमाग से नियंत्रण खत्म होने लगता है ऐसी स्थिति में दिमाग ऐसे mode में जाने लगता है। जहां हम खुद ही स्वप्न जैसी स्थिति में होने लगते हैं। 

यानी कि सोते हुए सपने आते हैं। और कभी-कभी आप हल्के से लेट जाए तो भी सपनों का आना इसमें सामान्य है और जागते हुए भी कभी-कभी सपने जैसी स्थिति का होना इस बीमारी में होता है। इसी स्थिति को दूसरे शब्दों में कहें तो इंसान को हेलोसिनेशन जैसी स्थिति महसूस होने लगती है। 

 

शुरुआती लक्षण इंफेक्शन के 24 घंटे के बाद ही दिखने लगते हैं।

बुखार, भयानक सरदर्द, मतली या उलटी

गर्दन में अकड़न, लाइट को लेकर आंखों पर जोड़ पड़ना, उलझन, संतुलन की हानि, दु: स्वप्न brain eating ameoba के सामान्य लक्षण है।

हम यहां सीधे तौर पर देख सकते हैं, कि कुछ खास किस्म की समस्याएं हैं। जिनका सीधे तौर पर हमारे दिमाग से संबंध है।  

10.) इससे बचाव के लिए क्या करे ?

विशेषज्ञों के मुताबिक 14 दिनों की अवधि के बाद सामान्यत: लक्षण दिखाई देने के बाद रोगी की औसतन लगभग 5 दिनों के बाद मृत्यु हो जाती है।

सबसे जरूरी बात जो अभी तक हमारे लिए जानना बेहद जरूरी है कि इसके संक्रमण होने के बाद शुरुआती 13 से 14 दिनों के अंदर ही पेशेंट को डॉक्टर को दिखा कर इसका ट्रीटमेंट ले लेना जरूरी है और ऐसे कुछ cases में कुछ patients की जान बचाई जा चुकी है तो अगर ऐसा कोई भी लक्षण आपको दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और अपना इलाज जल्द से जल्द शुरू करवाएं वरना यह जानलेवा साबित हो सकता है।

इस बीमारी का अभी तक कोई परमानेंट इलाज नहीं मिल पाया है इसलिए डॉक्टर इसमें सिंप्टोमेटिक ट्रीटमेंट ही देते हैं। इसके अलावा कुछ और दवाइयां भी है जो इसके इलाज के लिए दी जा सकती हैं। जैसे कि इनमें से कुछ प्रमुख है। 

एम्फ़ोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन आदि। इसके अलावा ओर भी बहुत तरह की दवाइयां इसमें दी जाती है।

11.) यह दिमाग खाने वाले अमीबा कहा-कहा पाया जाता है?

अमीबा मुख्य रूप से तालाबों, नदियों और अन्य ताजे पानी की सतहों, गर्म मीठे पानी की झीलों और नहरों में पाए जाते हैं।

यह सिर्फ ताजे पानी की सतह पर ही पाए जाते हैं। समुंदर में नहीं पाए जाते मिन्स खारे पानी में नहीं पाए जाते हैं। 

brain eating ameoba (Naegleria fowleri) के पनपने के लिए तापमान का गर्म होना आवश्यक है। क्योंकि अधिक ठंडी जलवायु में यह अमीबा नहीं पाया जाता है।

 

12.)  इसके फैलाने की प्रमुख वजह क्या है?

इस अमीबा के संक्रमण में वृद्धि का सबसे बड़ा मेन कारण जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा है। यानी कि जलवायु परिवर्तन टेंपरेचर का लगातार बढ़ना इसके संक्रमण में वृद्धि का एक कारण है। 

यह अमीबा ज्यादा ठंड में जीवित नहीं रहता है। और ना ही यह ज्यादा ठंडे इलाकों में पाया जाता है। ना ही यह नमकीन या खारे पानी में पाया जाता है।

 यह मीठे ताजे पानी में और जहां तक की संभव हो यह 45 से 46 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर पर पाया जाता है। यानी 46°C टेंपरेचर इसके लिए एक आदर्श स्थिति है। पनपने के लिए इसलिए इसके प्रसार के लिए जलवायु परिवर्तन यानी कि ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

क्योंकि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ता जा रहा है।

 

13.) Conclusion

जिसकी वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफसी, सल्फर के ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा लगातार बढ़ने से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से प्रत्येक वर्ष तापमान में वृद्धि हो रही है और परिणाम स्वरूप brain eating ameoba (Naegleria fowleri ) जैसे अमीबा लगातार पनप रहे हैं। 

नदियों, झीलों, तालाबों आदि के पानी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। जिसकी वजह से ऐसे अमीबीय संक्रमण के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार हो जाता है क्योंकि यह अमीबा पानी में ही पाया जाता है। 

यह एक जानलेवा बीमारी है। इसलिए इससे बचने के लिए हमें चाहिए कि हम संक्रमित ही ना हो क्योंकि इसके संक्रमित होने के बाद बचने के चांसेस लगभग ना के बराबर होते हैं। और अभी तक इसका कोई परमानेंट इलाज भी संभव नहीं हो पाया है, इसलिए खुद को बचाना ही इसका इलाज है। इसलिए इसके संक्रमण से अपने आप को बचा कर रखना ही इसका इलाज है।

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